एक बार फिर से स्वागत करता हूँ आप सभी के अपने ब्लॉग कैपिटल ज्ञान में मै आपका दोस्त और इस ब्लॉग चैनल का एक सदस्य ॐ तो हाज़िर हूँ आप सभी के लिए एक और नया और रोचक विषय तो आइये चर्चा करते हैआज के इस महत्वापूर्ण चर्चा को। दोस्तों क्या आप जानते है या आपने कभी company Act 2013 के बारे में सुना है तो आज का चर्चा का यही विषय हम आपके लिए ले कर आये है क्या है?| company Act 2013 ,,company act 2013 in hindi ?,company act 2013 Explaine (2023) ,of companies act 2013, what’s company law
दोस्तों बिना समय व्यर्थ किये शुरू करते है आज का अपना ये विषय बने रहिये अपने इस मित्र के साथ।
Company Act 2013 आखिर क्या है?
दोस्तों आज की इस चर्चा की शुरुआत ही हम इस टाइटल के बारे में अच्छे से जानने से करते है और जानते है की क्या है कंपनी एक्ट 2013 तो शुरू करते है।
कम्पनी अधिनियम २०१३ (Companies Act 2013) भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो कम्पनियों के निर्माण, उनके उत्तरदायित्व, उनके निदेशक तथा उनकी समाप्ति आदि का नियमन करती है।
इस अधिनियम में २९ अध्याय तथा ४७० अनुभाग हैं जबकि १९५६ के अधिनियम में ६५८ अनुभाग (सेक्शन) थे।
मित्रो आशा करता हूँ की आप जान चुके होंगे की क्या है कंपनी एक्ट 2013 आइए आगे इसके बारे में और विस्तृत रूप से जानते है।
कंपनी अधिनियम 2013 क्यों जारी किया गया था?
दोस्तों जब इस पर चर्चा ह ही रही है तो आपके मन में ये जरूर आया होगा की आखिर क्या जरुरत थी की इस प्रकार के किसी अधिनियम की जरुरत पड़े पूरा बताएँगे आपको इसके बारे में की आखिर क्यों इसे पेश किया गया तो आइए।
दोस्तो कंपनी अधिनियम 2013 को कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार करने और व्यापार के अनुकूल कॉर्पोरेट विनियमन प्रदान करके भारत में व्यापार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए पेश किया गया था।
जो की आज कल सभी के समक्ष प्रत्यक्ष रूप से नजर आता है और ये कारन था की इसे जनता की भलाई के लिए सरकार ने जारी किया एक नए रूप में इसके प्रथम रूप के बारे में भी बात करेंगे की पहली बार ये कब अस्तित्व में आय था।
जानिये कंपनी अधिनियम 1956 के बारे में?
दोस्त ऊपर हमने बात की कंपनी एक्ट2013 के बारे में जोकि कुछ विभिन्न बदलावों के साथ सन2013 में पारित हुआ पर अब जानते है की सन 1956 में पहली दफा ये कानून अस्तित्त्व में आय और क्या है ये।
कंपनी अधिनियम वह अति महत्वपूर्ण विधान है जो केन्द्र सरकार को कम्पनी के गठन और कार्यों को विनियमित करने की शक्ति प्रदान करता है।
भारत की संसद द्वारा1956 में पारित किया गया था इसमें समय-समय पर संशोधन किया गया ये अधिनियम कम्पनियों के गठन को पंजीकृत करने तथा उनके निर्देशकों और सचिवो की जिम्मेदारी का निर्धारण करता है।
देखा जाये तो ये अपने आप में ही एक अच्छी व्यवस्था है जो सरकार का उस समय के अनुसार एक बोहोत ही महत्वपूर्ण कदम था।
अब आगे बढ़ते है और आगे जानते है इसके बारे और अब जानते है की इनमे क्या अंतर है और आगे बढ़ते हुए इसकी विशेषता के बारे में भी बात करेंगे।
कंपनी एक्ट 1956 और 2013 के अधिनियम में क्या अंतर है?
आइए जानते है की कंपनी एक्ट 1956 और 2013 के अधिनियम में क्या क्या अंतर है जानते है।
दोस्तों कंपनी अधिनियम 1956 और कंपनी अधिनियम 2013 के मध्य मुख्य अंतर यह है कि कंपनी अधिनियम 1956 के अनुसार, एक व्यक्ति कंपनी नहीं बना सकता है, जबकि कंपनी अधिनियम 2013 में,इसके विपरीत एक व्यक्ति कंपनी बना सकता है।
ये एक बड़ा अंतर है इन दोनों के बिच और आप इसे बदलाव भी कह सकते है जो इन दोनों समय के बिच सरकार ने किये।
कंपनी एक्ट 2013 में कितनी धाराएं आती है क्या आप जानते है?
मेरे दोस्तों जानते है की कंपनी एक्ट २०१३ की विशेषता और धाराए क्या है इसमें कितनी धाराए है
मित्रो यह कंपनी के निगमन, कंपनी की ज़िम्मेदारियों, निदेशकों और कंपनी के विघटन को नियंत्रित करता है।
इसे 29 अध्यायों में विभाजित किया गया है जिसमें पूर्व कंपनी अधिनियम, 1956 में 658 धाराओं की तुलना में 470 धाराएँ हैं और इसमें 7 अनुसूचियाँ हैं।
आशा करता हूँ की आपको विस्तृत रूप से मै इस बारे में बता पाया हूँगा और आप जान चुके होंगे की इसमें कितनी धाराए है।
कंपनी एक्ट 1956 में कितनी धाराए आती है?
दोस्तों जानते है की पुराने समय में जो एक्ट पारित किय था उसमे कितनी धराये है तो चलिए जानते है।
इस वर्ष के दौरान, कंपनी अधिनियम, 1956 की अन्य धाराओं के अंतर्गत 8020 मामलों पर विचार किया गया जिनमें 6388 निपटा दिए गए। इनमें कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 621क के अंतर्गत संयोजित 1026 मामलें शामिल हैं।
आशा करता हूँ की आप जान चुके है की पुराने समय में 1956 एक्ट में कितनी धराये थी।
(निष्कर्ष)
दोस्तों आशा करता हूँ की आपको आज का ये विषय बोहोत पसंद आया होगा और बोहोत कुछ जानने बोहोत कुछ सिखने को मिला होगा और आप कंपनी एक्ट 2013 के बारे में आप को बोहोत कुछ पता चला होगा और मै आशा करता हूँ की आप हमारे capitalgyan के साथ ऐसे ही जुड़े रहेंगे और अपना प्रेम हमे और हमारे इस ब्लॉग को देंगे हम आपसे वादा करते है हमेशा की तरह आपके लिए और भी अच्छे विषय लेकर आते रहेंगे तबतक के लिए आपसे विदा लेते है आप सभी का इक बार फिर धन्यवाद करते है इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए।