हमेशा की तरह आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है हमारे इस ब्लॉग में आपका ये दोस्त आपके लिए एक बार फिर से लेकर आ चूका है एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय आज हम बात करने जा रहे है What is Accounting in Hindi और what is Accounting तो चलिए जानते है आपने विषय के बारे में।
लेखांकन क्या है? (What is Accounting in Hindi?)
जैसा की आप सब को ज्ञात होगा की शब्दों को जोड़ कर ही एक पूरा अर्थ बनता है। लेखांकन मतलब लेख +अंकन यानि की लेखांकन यानि Accounting बनता है।
जब हम किसी बहुत ही खास उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए घटित हुई घटनाओ को अंको में बया करते है लिखित स्वरुप में वही होता है लेखांकन Accounting
और घटित घटना से हमारा मतलब है पैसे का अदन प्रदान या कहे की लेन -देन।
Accounting की खासियत बातइए?
लेखांकन अर्थात Accounting की विशेषताएं है या यु कहे की खासियत है तो चलिए बताते इसके बारे में आप सभी को।
- Accounting यानि की लेखांकन एक व्यापारिक सौदे को भागो में बांटे जाने और उसे लिखित रूप में रखने की कला है।
- और यहाँ पर होने वाले सभी प्रकार के सौदे मुद्रा रूप में किये जाते है।
- अपने विश्लेषण या निर्वाचन की जानकारी उन सभी लोगो को भेजा जाना चाहिए जो इन सभी के आधार पर कोई निष्कर्ष या इसका कोई हल निकले और एक सही फैसला ले।
इसके अलावा कुछ और भी खासियत है।
4 .जैसे की हम कह सकते है की ये लेन -देन पूर्ण या फिर उसके एक अंश के स्वरुप में वित्तीय ,यानि की (चलन)की प्रकर्ति वाले होते है।
लेखांकन के कार्य क्या है? (what is accounting?)
आज हम आप सभी को बताने जा रहे accounting के कार्यो के बारे में जो की कुल 6 प्रकार के है।
{recordative function } लेखात्मक कार्य: ये लेखांकन का एक मौलिक कार्य है इस कार्य के भीतर व्यवसाई की शुरआती किताबो में एक क्रम में लिखना उनको सही खातों में विभाजित करना और उन से खाते शुरू करना और शामिल है।
- {interpretative function }व्याख्यात्मक कार्य :इस कार्य के मध्य लेखांकन की जानकारी में उसका अच्छा सोचने वाले सभी पक्ष ले लिए वित्तीय विवरण और प्रति आवेदन का विश्लेषण और उसकी पूर्ण जानकारी शामिल है। और इसे बहुत महत्व दिया गया है प्रबंधको के दृश्टिकोण से।
- {Communicating function }संप्रेषणत्मक कार्य :
लेखांकन को व्यवसाय की भाषा कहे तो शायद कुछ गलत नहीं होगा।
क्योकि भाषा का मुख्या उद्देश्य का संचार के साधन के स्वरुप में ही काम करता है।
हमारे विचारो को एक स्वरुप प्रदान करने में जिस तरह हमारी भाषा का अहम् योगदान है ,ठीक उसी तरह लेखांकन यानि Accounting व्यवसाय के वित्तीय स्थित कई दूसरी सभी पक्षधारो को प्रदान करता है जो की महत्वपूर्ण भी है।
4 . {Meeting Legal Needs} वैधानिक जरुरत की पूर्ति करना : भिन्न भिन्न प्रकार के क़ानूनो में जैसे ,कंपनी अधिनियम आयकर अधिनयम आदि के जरिये विभिन्न प्रकार के विवरणों को जमा पर भी जोर दिया जाता है
जैसे की सालाना खाते ,आयकर return बिक्रीकर return यानि sale tax इन सभी को जमा कर के लेखांकन को ठीक तरीके से संभल कर रखा जाता है।
5. {Protecting Business Assets } व्यवासय की संपदा की रक्षा करना :लेखांकन का एक महत्वपूर्ण कार्य जो व्यवसाई की संपदा की रक्षा करता है। और ये तभी संभव है जब भिन्न भिन्न सम्पत्तियो का सही लेखांकन होगा।
6. {Facilitating Decision Making } निर्णय लेने में सहायता करना :
लेखांकन यानि Accounting मत्वपूर्ण आंकड़ों को उपलब्ध करता है जिससे सभी महत्वपूर्ण फैसले लेने में सुविधा होती है।
ये तो बात हुई लेखांकन की अब हम बात करते है है की आखिर क्या क्या लाभ है।तो आइये बताते है की लेखांकन यानि Accounting के क्या क्या लाभ है।
लेखांकन (accounting) के प्रमुख लाभ क्या है?
1 .लेखांकन के कुछ प्रमुख लाभ है जो कुछ इस प्रकार है।
क्या आप ये बात मानते है चाहे कोई भी मनुष्य हो और चाहे वो योग्य हो वो सभी चीज़ो को यद् नहीं रख सकता है और आप इस बात से अवगत तो है की व्यापार में रोज़ाना कई सारे लेन देन होते है
चाहे फिर वो आपकी किसी बहुमूल्य वस्तु का हो या फिर धन का आदान प्रदान चाहे आप किसी मज़दूर को उसकी मज़दूरी का भुक्तं कर रहे हो या अपने निचे काम करने वाले किसी कर्मचारी को उसका मासिक वेतन दे रहे हो
ये सभी आप के लिए स्मरण रखना थोड़ा मुश्किल हो होगा और बस यही जरूरत पड़ती है आपको Accounting अर्थात लेखांकन की जो आप की सभी समस्यो का एकलौता समाधान है जो आपकी जरुरत की चीज़ो को जो लेन – देन से जुडी है उसे आपके लिए आसान बनता है।
2. लेखांकन आपकी आपके व्यापार से सम्बंधित सभी सूचनाओं प्राप्त करने में भी सहायक है जैसे की –
आपका लाभ और आपकी हानि से सम्बंधित सभी जानकारिया होना आपको आवश्यक है.
आपकी संपत्ति और आप की जिमेदारियो की पूर्ण जानकारी होना भी आप को आवश्यक है।
आपको किस किस से रूपये लेने और किसको कटने देने है है या कहे की आपके कारोबार की दशा किस प्रकार चल रही है और आपकी आर्थिक इस्थिति कैसे है,इत्यादि।
और सबसे अहम् जब आपके व्यापारिक तालुकात बिगड़ जाते है तो यही लेखांकन आपका प्रमाण बनकर सिद्ध होता है न्यायालय में।
आशा करता हूँ की आप समझ गए होंगे की लेखांकन के लाभ और उसकी हमारे व्यापारिक जीवन में क्या जगह है वो आप समझ गए होंगे , अब में आप से साझा करने जा रहा हूँ की लेखांकन के उद्देश्य क्या है.
लेखांकन (accounting) के उद्देश्य क्या है?
लेखांकन के कुछ मुख्या उद्देश्य है
- accounting का सब से प्रथम उद्देश्य है सभी प्रकार के व्यपारिक आदान प्रदान का पूर्ण एवं सही तरीके से लेख रखना क्योकि इससे गलत होने के बहुत की कम मोके होते है और आप भी निश्चिंत रहते है
- लेखांकन का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य एक तय किये हुए काल का नफा और नुकसान ज्ञात करना
- accountingका तीसरा सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य कार्य की वित्तीय जानकारी मुहैया करना है जिससे प्रबंधकर्ता को सही और कारगर निर्णय लेने में आसानी हो इसके लिए लेखांकन में विकल्प भी है।
- लेखांकन का चौथा और महत्वपूर्ण उद्देश्य संस्थाओ की वित्तीय इस्थिति के संबंध में जानकारी प्राप्त करना है।
- और वैसे भी आप जानते होंगे की कारोबार में सभी का हित होता है जैसे की आपके लिए काम करने वाले कर्मचारी ,प्रबंधक लेनदार आदि।
- और व्यवसाय में हित रखने वाले सभी पक्ष और उनसे जुड़ी सभी प्रकार की सूचनाओं को उपलब्ध कराना भी लेखांकन का एक मात्र मुख्य उद्देश्य है।
लेखांकन (accounting) के कुछ मुख्या प्रकार क्या है?
अपनी अपनी जरूरतों की पूर्ति के अनुसार लेखांकन के भिन्न भिन्न तरीके एवं पद्धति विकसित हुई है जो की Accounting अर्थात लेखांकन के प्रकार कहलाते है।
- Financial Accounting वह लेखांकन है जिसके अंदर वित्तीय प्रकृति वाले सभी सौदे लेख के अधार पर किये जाते है इन्हे हम सामन्य लेख क्रम भी कहते है जिसके आधार लाभ और हानि का आय विवरण और उसकी सारी जानकारी तैयार किया जाता है।
- Cost Accounting वो वित्तीय है जो लेखांकन के लेख की सहायक है cost Accounting किसी चीज़ या फिर सेवा की cost को सही से व्यवस्थित और वैज्ञानिक विधिओ से लेख करने की विधि है इस विधि द्वारा आपकी वास्तु या सेवा की कुल लगत costing का अंदाजा लगाया जाता है और इसके द्वारा आप अपनी लगत पर भी नियंत्रण रख सकते है।
- Management Accounting ये Accounting की आधुनिक और नई पहल है जब कोई भी लेख विधि प्रबंध की जरुरतो के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया कराती है तब प्रबंधक लेखविधि Management Accounting कहलाती है।
Magical Rules Of Accounting? (Accounting के जादुई नियम क्या है?)
सबसे पहले हम बात करते है।
1. (personal Account ) यानि की व्यक्तिगत लेख के बारे में किसी भी व्यक्ति या फिर संस्था से जुड़े हुए लेख व्यक्तिगत लेख कहलाते है।
व्यक्तिगत लेख का नियम (Rule of personal Accounting)
पाने वाले को (Debit the Receiver)कहा जाता है देने वाले को {जमा }(Credit the Giver) कहा जाता है।
जैसे की ऊपर पढ़ कर पाता चल रहा होगा की जब कोई किसी से कुछ लेता है.उसे Reciver कहते है और जो दूसरे व्यक्ति को कुछ देता है उसे हम Giver कहते है। लेने वाले को हम Debit में रखते है ,और देने वाले को हम Credit में रखते है।
2. (Real Account ) वास्तविक लेखआपकी कोई भी वास्तु और उस से जुडी सम्पति के लेख को Real Account यानि वास्तविक लेख कहा जाता है।
वास्तविक लेख का नियम (Rule of Real account )
जो आता है उसे उसका नाम (Debit What comes in )कहते है और जो जाता है उसे {जमा }(Credit What goes out ) कहते है।
आपके कारोबार में जो सामान आता है उसे Debit में रखा जाता है और जो सामान जाता है उसे credit में रखा जाता है।
3. (Nominal Account ) अवास्तविक लेख आपके आमदनी से सम्बंधित लेख ही nominal Account यानि अवास्तविक लेख कहा जाता है।
सभी खर्च और उनकी हानि का नाम {Debit all expenses and losses} होता है और आपकी सभी आमदनी और लाभ को {जाम }(Credit all incomes and gains) होता है।
और आपके कारोबार में जो खर्च होता है उसके नाम को Debit किया जाता है और जो आमदनी होती है उसके नाम को credit किया जाता है।
(निष्कर्ष)
आशा करता हूँ की अब आप समझ गए होंगे की creditor किसे कहा जाता है और लेखांकन क्या होता है।
हमेशा की तरह आपको कुछ नया सिखने को मिला होगा और यही हमारा प्रयास है ,और भी नए नए विषयो के बारे में जानने के लिए और हम से जुड़े रहने के लिए आप अपना ये blog capital ज्ञान subscribe कर सकते है
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एक बार फिर आप सभी का हमारे इस post को पढ़ने का धन्यवाद्।
(FAQ ,S)
1. लेनदार कौन होता है?
जो कोई व्यक्ति अपने व्यापार को बढ़ने हेतु किसी कंपनी या किसी फार्म से ब्याज पर पैसे लेता है,उसे हम लेनदार कहते कहते है।
2. (Who is Sundry Debtor) देनदार कौन होता है?
देनदार एक इकाई है जो किसी अन्य इकाई के लिए एक ब्याज का बकाया है। वो एक कंपनी या फिर कोई व्यक्ति या एक फार्म या सरकारहो सकती है और उसके प्रति पक्ष को लेनदार कहा जाता है।
आसान भाषा में कहु तो जो आपकी सहायता के लिए सब से पहले आगे आते है वो देनदार है।
(Meaning of Cost Accounting in Hindi ?)cost Account को हिंदी में क्या कहते है?
Cost Accounting को हिंदी में लगत लेख कहा जाता है।
3. लेनदार और देनदार से आप क्या समझते है?
देनदार वह पक्ष होता है जिसके पास इकाई के लिए धान बकाया है।
और देनदार वह पक्ष है ,जिन पर उनके कारोबार का दारोमदार है और इन सब से अहम् देनदार कंपनी की संपत्ति है और लेनदार कंपनी की देनदारी है।